बंगाल में एसआईआर के दौरान जुलाई 2025 के बाद जारी आवासीय प्रमाण पत्र जांच के दायरे में
कोलकाता: पश्चिम
बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत दावों और आपत्तियों
की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए जाने वाले आवासीय प्रमाण पत्र अब भारतीय
निर्वाचन आयोग की कड़ी निगरानी में रहेंगे। आयोग ने स्पष्ट किया है कि
जुलाई 2025 के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए निवास प्रमाण पत्रों की
विशेष जांच की जाएगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से जुड़े
सूत्रों के अनुसार, आयोग ने पहले ही जिला मजिस्ट्रेटों और जिला निर्वाचन
अधिकारियों को निर्देश दिया है!
कि वे ऐसे मतदाताओं द्वारा पेश किए गए निवास
प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता की गहन जांच करें, जिनका वर्ष 2002 की
मतदाता सूची से कोई सीधा या पारिवारिक संबंध नहीं पाया गया है। ऐसे
मतदाताओं को अनमैप्ड मतदाता के रूप में चिह्नित किया गया है। निवास
प्रमाण पत्रों की जांच दो आधारों पर की जाएगी। पहला यह देखा जाएगा कि
प्रमाण पत्र असली हैं या फर्जी। दूसरा यह जांचा जाएगा कि ये प्रमाण पत्र
वास्तव में राज्य के योग्य और स्थायी निवासियों को ही जारी किए गए हैं या
नहीं।
सुनवाई के दौरान प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच दो स्तरों पर होगी।
पहले स्तर पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी जांच करेंगे और दूसरे स्तर पर जिला
निर्वाचन अधिकारी इसकी समीक्षा करेंगे।
भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा
नियुक्त सूक्ष्म पर्यवेक्षकों को भी निर्देश दिया गया है कि वे सुनवाई
सत्रों के दौरान निवास प्रमाण पत्र जमा करने वाले मतदाताओं पर विशेष नजर
रखें और किसी भी संदिग्ध मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दें।




